Subha Shaam


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जाना सुबह-शाम तू
बस सुबह-शाम तू
है जो सीने में मेरे
इस दिल का नाम तू
कब रात, कब सुबह?
कुछ होश भर नहीं
तू ही आख़री मेरा
मेरा पहला जाम तू

जाना सुबह-शाम तू
बस सुबह-शाम तू
जाना सुबह-शाम तू

जाना सुबह-शाम तेरी हसरतें
ना है आराम बस करवटें
ये दरमियाँ है क्यूं सरहदें?
क्यूं हम बंधे तू मेरे?
पास-पास आ
मैं थाम लूं
हर सांस-सांस
आराम दूं
तू करीब आके कान में मेरे
मेरी जान मांग ले तो जान दूं
एक बार सर झुका
तुझे मांग तो लूं मैं
इस जलते दिल को अब
बस एक आराम तू

जाना सुबह-शाम तू
बस सुबह-शाम तू
है जो सीने में मेरे
इस दिल का नाम तू
कब रात, कब सुबह?
कुछ होश भर नहीं
तू ही आख़री मेरा
मेरा पहला जाम तू

जो आरज़ू है
तू ही तू है
तू ही तू है
तू ही तू है
जो जुस्तजू है
तू ही तू है
तू ही तू है
तू ही तू है
तू ही तू काफी है
तू ही तू बाकी है
तू ही मयख़ाना है
तू ही तू साक़ी है
ले तेरे हाथों में
चाहे तू खंजर भी
रख मेरे सीने पे
तुझको तो माफ़ी है
तुझे देखने तो दे
बस एक झलक मुझे
बिन तेरे ज़िंदगी
का इंतज़ाम तू

जाना सुबह-शाम तू
बस सुबह-शाम तू
है जो सीने में मेरे
इस दिल का नाम तू
कब रात, कब सुबह?
कुछ होश भर नहीं
तू ही आख़री मेरा
मेरा पहला जाम तू