Humdum


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हमदम-हमदम
हमदम-हमदम

ओ मेरे हमदम-हमदम
थोड़ा-थोड़ा तो ग़म हमको देदे ना
के मरहम-मरहम मिल जाए
हमें हाथों से तेरे

आ जा ना के कह दे तुझसे
'गर हम तेरा होना है
क्या मौसम-मौसम
रह जाओगी, बाहों में मेरे?

ये ऐसी वैसी बातें नहीं हैं
यूं ही लिखते-गाते नहीं हैं
यूं ही तुझको सोचें सुबह-शब हम
यूं ही मुस्कुराते नहीं हैं
तू खुद को 'गर नजरों से मेरी
जो देखेगी, दिल हार जाएगी
जो आँखों से आँखें मिलाएगी
यूं डूबेगी, न पार जाएगी
जो सीने पे रखेगी हाथों को
मेरी जाना, फिर जान पाएगी
तेरे नाम के ही प्याले हैं
हाथों में मेरे

ओ मेरे हमदम-हमदम
थोड़ा-थोड़ा तो ग़म हमको देदे ना
के मरहम-मरहम मिल जाए
हमें हाथों से तेरे

आ जा ना के कह दे तुझसे
'गर हम तेरा होना है
क्या मौसम-मौसम
रह जाओगी, बाहों में मेरे?

मेरी जान तू किताबों सी है
मेरे सारे जवाबों सी है
कोई पूछे जो कैसी है तू?
के मैं कह दूं "गुलाबों सी है"
के तू कमरे में महके मेरे
के तू छू ले मुझे इस कदर
के तू बैठे सिरहाने कभी
के ये ख्वाहिश भी ख्वाबों सी है
तू दिल की नमाज़ों में देखेगी
के हर एक दुआ भी तो तेरी है
तू हंस के अगर मांग लेगी जो
के लेले ये जान भी तो तेरी है
के कैसा नशा भी ये तेरा है?
के कैसी बीमारी ये मेरी है?
के लिखने में हो गए हैं माहिर हम बारे में तेरे

ओ मेरे हमदम-हमदम
थोड़ा-थोड़ा तो ग़म हमको देदे ना
के मरहम-मरहम मिल जाए
हमें हाथों से तेरे

आ जा ना के कह दे तुझसे
'गर हम तेरा होना है
क्या मौसम-मौसम
रह जाओगी, बाहों में मेरे?

हमदम-हमदम
थोड़ा-थोड़ा तो ग़म हमको दे दे ना
के मरहम-मरहम मिल जाए
हमें हाथों से तेरे
आ जा ना के कह दे तुझसे
'गर हम तेरा होना है
क्या मौसम-मौसम
रह जाओगी, बाहों में मेरे?